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लेखनी प्रतियोगिता -07-Feb-2023


कभी ढूंढता हूँ मैं खुशियों के हिस्सेदारों को
जरूरतें ले चली गयी जाने कहाँ रिश्तेदारों को।

एक दौर वो भी होता था
नाना नानी मामी मौसी
दादा दादी ताया ताई
सबने मिलकर दुनिया पोसी
सबसे मिलना होता था
सबकी आवश्यकता होती थी
सबकी कीमत सबकी इज्जत
सब ही के मन मे होती थी।
फिर वक्त बहा ले गया वक्त के मारों को
जरूरतें ले गयी जाने कहाँ रिश्तेदारों को।

जब सारा कुनबा साथ रहते
और सुख दुख साथ निभाते थे
जब कई पीढ़ियों के रिश्ते
एक चूल्हे से खाते थे
फिर बदला समय सबसे पहले
रिश्तों के बंधन टूट गए
सब इतना तेज लगे चलने
कि रिश्ते पीछे छूट गए
किसको फुर्सत है बांधे वापस तारों को
जरूरतें ले गयी दूर रिश्तेदारों को।

अब पति पत्नी और दो बच्चे
एक घर मे इतने ही दिखते हैं
ना चाचा बुआ मामा मौसी
ना दादी नानी दिखते हैं
सबके अपने मकान गाड़ी
सबके अपने रस्ते हैं
और घर के बूढ़े गांव पड़े
सबसे मिलने को तरसते हैं
बस करो रुको कुछ समय तो दो इन प्यारों को
फिर से एकत्र करें हम अपने रिश्तेदारों को।
।।

 
 ।

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5 Comments

Gunjan Kamal

08-Feb-2023 09:13 PM

बहुत खूब

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Punam verma

08-Feb-2023 08:53 AM

Very nice

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बहुत सुंदर सृजन

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